जिससे हो एक अनोखा विशवास, जो रहे हमारे दिल के हमेशा आस–पास,
न मिले उससे एक भी दिवस, तो लगता है जैसे एक मास,
शख्स वो हमारा होता है जिसे कहते है मित्र ख़ास।
खुदा भी गजब करता है,,, जिन्दगी में नए रंग भरता है,,,,
समझ नहीं पाते हम आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है,,,
प्यार है,,,,इकरार है,,,,,समझ कर भी हर बात में नासमझी है,,,,
ठहर जाते है चलते चलते हम,, पर समझ नहीं पाए की यह रिश्ता क्या कहलाता है !!!!!!