साल में आते चार नवरात्री, किसको दे दू प्रथम स्थान,
चारो ही किसी न किसी रूप में, कर रहे जान-मानव कल्याण|
दो तो आये गुप्त रूप से, आषाढ़ और माध के महीने में,
चैत्र और आश्विन को हम पूजे, जैसे सजती अंगूठी हीरे के नगीने में|
साल में आते चार नवरात्री, किसको दे दू प्रथम स्थान,
चारो ही किसी न किसी रूप में, कर रहे जान-मानव कल्याण|
दो तो आये गुप्त रूप से, आषाढ़ और माध के महीने में,
चैत्र और आश्विन को हम पूजे, जैसे सजती अंगूठी हीरे के नगीने में|