ज़ज़्बातो से इकरार किया था,
झुकी नज़रो से स्वीकार किया था,
कोई यन्त्र नहीं बना मापने के लिए,
इतना तुमसे प्यार किया था |
कहते है ग्रहण सभी को लगता है.
चाहे सूरज हो या चाँद,
हम भी कैसे बच पाते,
है तो आखिर मामूली एक इंसान |
गीली आँखों से उस अंधियारे को भी स्वीकार किया था,
दुनिया पागल कहती थी हमको, उस हद तक तुमसे प्यार किया था |