हम सब ने नव वर्ष की फिर से खुशियां मनाई थी,
ख़त्म हो गया २०२०, इक दूजे को दी बधाई थी,
सार्वजनिक वाक्य था, बुरा साल अब चला गया,
पर क्यों ऐसा महसूस हो रहा है, वो साल भी बुरा नहीं थ।
भागती ज़िन्दगी में एक विराम लगाया,
चार पहर में से तीन पहर आराम दिलाया,
सुकून के जिन पलो की चाहत थी सपनो में,
जागती आँखों से उन्हें सच कर दिखाया,
इसलिए महसूस हो रहा है, वो साल भी बुरा नहीं था।
नन्हे मासूमो को भारी बोझ से बचा लिया,
बुज़ुर्गो को घर में ही स्वर्ग दिखा दिया,
बड़ो को चैन से मुखातिब करा दिया,
इसलिए महसूस हो रहा है, वो साल भी बुरा नहीं था।
हम सब कोरोना को झेल रहे थे,
लेकिन फिर भी साथ में सब के खेल रहे थे,
खुशियों का माहौल बना था,
पकवानो का मेला लगा था,
अलग होकर भी सब एक लग रहे थे,
इसलिए महसूस हो रहा है, वो साल भी बुरा नहीं था।
सोचो प्रकृति खुश थी कितनी,
चोरी, डकैती भी बंद थी, अस्मत बहनो की बची हुई थी,
आतंक का नाम नहीं था, बुरे वक़्त में भी अपनों की एकता से जीती लड़ाई थी,
इसलिए महसूस हो रहा है, वो साल भी बुरा नहीं था।
Dr. Sonal Sharma